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जालंधर: शहर के एच.एम.वी. कॉलेजिएट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन के प्रोत्साहनात्मक दिशा-निर्देशन अधीन विप्रो अर्थियन अवार्ड्स विषय पर कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। समस्त कार्यशाला का आयोजन डीन इनोवेशन डॉ. अंजना भाटिया, डीन अकादमिक डॉ. सीमा मरवाहा, स्कूल को-कोआर्डिनेटर अरविंदर बेरी के संरक्षण में किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ ज्ञानात्मक ज्योति प्रज्वलित कर सर्वमंगल की कामना हेतु किया गया।
इस अवसर पर मुख्यातिथि डायरेक्टर पंजाब स्टेट कौंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी डॉ. के. एस. बाठ उपस्थित रहे। उनके साथ वक्ता के रूप में विप्रो से डॉ. आशीष शाह, एक्सपर्ट विप्रो फाउंडेशन एवं डॉ. मंदाकिनी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट भी मौजूद रहे। प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन ने अपने वक्तव्य में उपस्थित सर्वजन के प्रति आभार व्यक्त किया एवं कहा कि विप्रो अर्थियन अवार्ड फाउंडेशन वास्तव में एक प्रोत्साहन वर्धक एवं उत्साहपूर्ण पर्यावरण स्थिरता पर आधारित सबसे बड़ा फाउंडेशन है। उन्होंने इस फाउंडेशन से जुड़े सभी सदस्यों के उत्साह एवं लगन की सराहना की। के. एस. बाठ ने संस्था में आकर गर्व अनुभव किया एवं विप्रो अर्थियन अवार्ड के विषय में संक्षिप्त जानकारी देते हुए कहा कि यह फाउंडेशन जल, जैविक विविधता एवं अपशिष्ट थीम पर छात्राओं एवं अध्यापकों द्वारा राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रोजेक्ट बनाए जाते हैं जो उनकी रचनात्मकता को मंच प्रदान करता है और परियोजना से कई अध्यापकों को लाभ मिला है।
वहीं पुरस्कार विजेता शिक्षकों ने सभी प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव साझा किए। तकनीकी सत्र में विप्रो फाउंडेशन के विशेषज्ञ आशीष शाह ने इस फाउंडेशन की क्रिया के विषय में चर्चा की कि परियोजना को कैसे तैयार किया जाए एवं संसाधन सामग्री का प्रयोग करते हुए पर्यावरण के साथ तालमेल कैसे बनाया जाए विषय पर ज्ञानवर्धक विचार साझा किए।
अंत में उन्होंने कहा कि हमारा परम उद्देश्य भावी पीढ़ी को आने वाले पर्यावरण की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाना है। इसी उपलक्ष्य में डॉ. मंदाकिनी ने भी विस्तृत जानकारी दी एवं व्यावहारिक सत्र में चर्चा करते हुए समस्त प्रतिभागियों के ज्ञान में अभिवृद्धि की। इस कार्यशाला में कुल 85 प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता की। मंच संचालन डॉ. अंजना भाटिया द्वारा किया गया। इस अवसर पर कॉलेजिएट संस्थान के अध्यापकगण भी उपस्थित रहे।
