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जालंधर: शहर के हंस राज महिला महाविद्यालय के प्राचार्या डॉ. अजय सरीन के सक्षम मार्गदर्शन में पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (PSCST) के सहयोग और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC). भारत सरकार के समर्थन से एनवायरनमेंट एजुकेशन प्रोग्राम के अंतर्गत 111 4 अगस्त 2025 को बिल्डिंग स्किल्स फॉर नेचर विषय पर दूसरी क्लस्टर लेवल मास्टर ट्रेनर्स वर्कशॉप का सफल आयोजन किया। इस चार दिवसीय कार्यशाला में बरनाला, फतेहगढ़ साहिब, मानसा, मलेरकोटला, मुक्तसर साहिब, रूपनगर, पटियाला, संगरूर और एसएएस नगर से आए उत्साही मास्टर ट्रेनर्स ने भाग लिया। पहला दिन आशियाना एचएमवी परिसर में विशेष रूप से विकसित बर्ड केयर कॉर्नर में सहअस्तित्व का प्रतीकात्मक उत्सव मनाते हुए शुरू हुआ। प्रतिभागियों ने पक्षियों को दाना-पानी दिया, पानी के कटोरे भरे और घोंसले का सामान रखा। इसके बाद हरित स्वागत और उद्घाटन भाषण हुए।
प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. बी. के. त्यागी (पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, विज्ञान प्रसार), डॉ. आशाक हुसैन (एसोसिएट प्रोफेसर, सरकारी गांधी मेमोरियल सईस कॉलेज, क्रम) और डॉ. के. एस. बाथ (संयुक्त निदेशक, पीएससीएसटी) ने अनुभवात्मक अधिगम, जैव विविधता शिक्षा और नवाचारपूर्ण नेचर कैंप पद्धतियों पर अपने विचार साझा किए। दिन का समापन महाविद्यालय के हरे-भरे वनस्पति उद्यान में पौधों की पहचान और प्रोफाइल डाइंग के व्यावहारिक सत्र से हुआ। दूसरे दिन प्रतिभागियों ने पौधों की जैव विविधता, कीट जगत की रोचकता और प्रकृक्ति आधारित वर्गीकरण तकनीकों में गहराई से अध्ययन किया। तीसरा दिन सबसे रोमांचक रहा कान्जली वेटलैंड (रामसर स्थल) का क्षेत्रीय भ्रमण। जसवंत सिंह और बॉबिंदर के मार्गदर्शन में प्रतिभागियों ने वेटलैंड की वनस्पति और जीव-जंतुओं का अवलोकन किया, संरक्षण की चुनौतियों पर चर्चा की और बायोडायवर्सिटी मैपिंग को शिक्षण मॉड्यूल में शामिल करने की विधियां सीखीं।
वहीं आज चौथा दिन नेचर-इंस्पायर्ड स्किल बिल्डिंग, ईको-पोस्टर मेकिंग और जैव विविधता मानचित्रण गतिविधियों को समर्पित रहा। प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और संकल्प लिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में व्यावहारिक संरक्षण कौशल को आगे बढ़ाएंगे। कार्यशाला का समन्वय डॉ. अंजना भाटिया ने किया तथा सह-समन्वय हरप्रीत ने संभाला। सक्रिय योगदान देने वालों में डॉ. श्वेता चौहान, डॉ. रमनदीप कौर, डॉ. शुचि शर्मा, डॉ. रमा शर्मा, डॉ. जितेंद्र, सुमित, परमिंदर, डॉ. प्रेम सागर, डॉ. काजल, गुंजन शामिल रहे।
समापन सत्र में प्राचार्या डॉ. अजय सरीन ने प्रतिभागियों के उत्साह की सराहना करते हुए एचएमवी की अनुभव आधारित पर्यावरण शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई। विशेषज्ञों ने महाविद्यालय की ग्रासरूट्स पर्यावरण नेतृत्व को प्रोत्साहित करने में भूमिका की प्रशंसा की। अंत में डॉ. सीमा मरवाहा (डीन एकेडमिक्स) ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और पीएससीएसटी, मोईएफसीसी, विशेषज्ञों, प्रतिभागियों और एचएमवी टीम के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया। प्रतिभागी कान्जली की सुंदरता की स्मृतियों के साथ-साथ प्रक्ति के अभियान दूत बनने की नई प्रेरणा लेकर लौटे।