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जालंधर: शहर के पीसीएम एस.डी. महिला महाविद्यालय के दिव्यांग सहायता एवं समावेशन प्रकोष्ठ ने आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) के तत्वावधान में मकसूदां स्थित रेड क्रॉस मूक-बधिर विद्यालय में “पर्यावरणीय स्थिरता के लिए नवीन शिक्षण पद्धतियाँ” शीर्षक से एक रचनात्मक और पर्यावरण-अनुकूल कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
रेड क्रॉस विद्यालय की कुल 56 छात्राओं ने इस कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया और बेकार पड़ी वस्तुओं को उपयोगी और कलात्मक वस्तुओं में बदलकर अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया। कार्यशाला का उद्देश्य ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’ की अवधारणा के माध्यम से पर्यावरण जागरूकता और नवाचार को बढ़ावा देना था, जिसमें स्थिरता और पुनर्चक्रण के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
पीसीएम एस.डी. की संकाय सदस्य प्रिया, बीनू और ज्योत्सना ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और छात्राओं का पूरी गतिविधियों के दौरान मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम की समावेशी भावना को और बढ़ाते हुए, एनसीसी कैडेट्स तान्या सहगल, कोमल, अंजलि, नेहा, हिमानी और तानिया ने कार्यशाला के दौरान छात्रों की सहायता की। उन्होंने सांकेतिक भाषा के माध्यम से छात्रों के साथ बातचीत की, जिससे यह अनुभव सभी प्रतिभागियों के लिए आकर्षक, सुलभ और आनंददायक बन गया।
यह पहल रेड क्रॉस स्कूल के साथ कॉलेज के पूर्व सहयोगों का एक विस्तार थी, जिसमें सांकेतिक भाषा और ललित कला पर कार्यशालाएँ शामिल थीं, जिन्हें कौशल-आधारित शिक्षा के माध्यम से दिव्यांग छात्रों को सशक्त बनाने के लिए अत्यधिक सराहा गया था। इस अवसर पर अध्यक्ष नरेश बुधिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद दादा, प्रबंध समिति के अन्य सदस्यों और प्राचार्य डॉ. पूजा पराशर ने कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देती हैं, बल्कि विशेष आवश्यकता वाले छात्रों में आत्मविश्वास, रचनात्मकता और जीवन कौशल का भी निर्माण करती हैं।
यह कार्यक्रम समावेशिता, स्थिरता और सामुदायिक सहभागिता के प्रति कॉलेज की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वहीं भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी, जालंधर ने सामाजिक उत्तरदायित्व और समग्र शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में कॉलेज के निरंतर प्रयासों के लिए अपना समर्थन और सराहना व्यक्त की।
