News 360 Broadcast (नई दिल्ली/बिज़नेस)
नई दिल्ली: आम जनता को जल्द सरकार की तरफ से एक बड़ी राहत प्रदान किए जाने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार जल्द पेट्रोल-डीजल के दामों में 10 रुपए की गिरावट देखने को मिल सकती है। जिसकी वजह कच्चे तेल के दामों में आई गिरावट है। उम्मीद है कि जनता को यह राहत आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले प्रदान कर दी जाएगी। पेट्रोल और डीजल में फरवरी में कटौती की जा सकती है।
दरअसल एक साल में क्रूड ऑयल की कीमतों में 12 फीसदी की गिरावट आ चुकी है लेकिन ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने इस दौरान दामों को कम नहीं किया है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने आखिरी बार अप्रैल 2022 में पेट्रोल-डीजल के दाम घटाए थे। अभी देश के ज्यादातर हिस्से में पेट्रोल 100 रुपए और डीजल 90 रुपए प्रति लीटर से ऊपर बने हुए हैं।
अभी ये कंपनियां प्रति लीटर के हिसाब से करीब 10 रुपए की कमाई कर रही हैं। अगर बात करें वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक कि तो इस दौरान इंडियन ऑयल (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) का मुनाफा करीब 5 गुना बढ़ा है।
सरकारी तेल कंपनियों की कमाई 2 गुना बढ़ी
अगर बात करें वित वर्ष 2022-23 की तो तब IOCL, BPCL और HPCL कंपनियों को 33,000 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 में इस मुनाफे के 1 लाख करोड़ के ऊपर निकलने का अनुमान है। यानी इसमें 3 गुना की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। FY24 की दूसरी तिमाही तक तीनों कंपनियों को मिलाकर 57,091.87 करोड़ रुपए हुआ है, जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में 1,137.89 रुपए था, यानी इसमें अब तक 4,917% (5 गुना) की बढ़ोतरी हुई है।
10 रुपए पेट्रोलियम के दाम घटा सकती हैं कंपनियां
एक्सपर्ट्स के अनुसार ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल और डीजल पर फिलहाल करीब 10 रुपए प्रति लीटर कमाई कर रही हैं। इस हिसाब से देखें तो उनके पास इनकी कीमतें कम करने की पर्याप्त गुंजाइश है। ऐसा करने पर अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
सरकारें वसूलती हैं मोटा टैक्स
भारत में पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज तो कम ही होता है पर केंद्र और राज्य सरकारें इस पर मोटे टैक्स लगाकर इसके दाम बढ़ा देती हैं। अभी पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज 57 रुपए के करीब है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें इस पर टैक्स लगाकर इसे 100 रुपए पर पहुंचा देती हैं। केंद्र सरकार द्वारा इस पर 19.90 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूली जाती है जबकि राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस लगाती हैं। जिसके बाद इनका रेट बेस प्राइज से 2 गुना तक बढ़ जाता है।