न्यूज़ 360 ब्रॉडकास्ट
जालंधर: हिंदी-दिवस के उपलक्ष्य में एपीजे कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स जालंधर के प्रांगण में विभिन्न प्रतियोगिताओं का सप्ताहिक आयोजन किया गया था। पूरे सप्ताह तक चली इन विभिन्न प्रतियोगिताओं का समापन-समारोह आयोजित किया गया। हिंदी-विभाग द्वारा हिंदी-सप्ताह के अंतर्गत “वाद- विवाद प्रतियोगिता”, “कह तू एक कहानी प्रतियोगिता”, “कविता-उच्चारण”, “कविता-लेखन”, भाषण-लेखन तथा पोट्रेट मेकिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन विभिन्न प्रतियोगिताओं के आयोजन के उपरांत सभी प्रतिभागियों को उत्साहित करने हेतु एवं विजेताओं को सम्मानित करने के लिए एक रंगारंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया, जिसमें कॉलेज प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुई। कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध कवि और संत कबीर के दोहों से हुई, जिसे डॉ अमिता मिश्रा और डॉ विवेक वर्मा के कुशल संचालन में तैयार किया गया था।
इस अवसर पर मंच का संचालन पंजाबी-विभाग की मैडम लवप्रीत कौर द्वारा किया गया। कबीर के दोहों के उपरांत, जर्नलिज्म विभाग के प्राध्यापक मोहित द्वारा स्वरचित कविता “जिंदगी का सार” प्रस्तुत की गई। इसके उपरांत कंप्यूटर-विभाग के समैस्टर 5 की, प्रज्ञा द्वारा स्वयं लिखित कहानी प्रस्तुत की गई। कंप्यूटर-विभाग की छात्रा वंशिका कोछड़ की स्वरचित कविता के उच्चारण उपरांत, हिंदी के महत्व को दर्शाती एक नृत्य-नाटिका की सफल प्रस्तुति बीकॉम के विद्यार्थियों द्वारा की गई। प्रोग्राम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र एवं पुरस्कार वितरण कर उनका हौसला अफजाई की गई। कविता-उच्चारण के लिए वंशिका कोछड़ ने प्रथम, पूर्व अनेजा ने द्वितीय तथा दिया तलवाड़ ने तृतीय स्थान हासिल किया। वहीं कविता-लेखन प्रतियोगिता के लिए गुरसाहिब सिंह थिंद को प्रथम पुरस्कार, आंचल चीमा को द्वितीय तथा रितिका शर्मा को तृतीय स्थान हासिल हुआ ।
वहीं राष्ट्रीय हिंदी-दिवस के साप्ताहिक प्रोग्राम के समापन-समारोह में मुख्य अतिथि कॉलेज प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा जी ने हिंदी-विभाग की अध्यक्ष डॉ अंजना कुमारी, तथा कॉमर्स विभाग से डॉ पायल अरोड़ा के प्रयासों की सराहना करते हुए, विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, “भारत जैसे बहुभाषी देश में हिदीं सभी राज्यों और लोगों को एक सूत्र में पिरोने का काम करती है। हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना भारत की स्वतंत्रता और इसकी लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में सहायक सिद्ध हुआ है। भारतीय धर्म, संस्कृति और इसके नैतिक मूल्यों का पूरे विश्व में प्रचार और प्रसार में हिंदी भाषा एक सेतु के रूप में काम कर रही है।”