Friday, November 22, 2024
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हमें अपने एलुमनाई पर गर्व है- प्रिंसिपल डॉ. जगरूप सिंह

by News 360 Broadcast

न्यूज़ 360 ब्रॉडकास्ट

जालंधर: शहर के मेहर चंद पॉलिटेक्निक ने 1954 में अपनी स्थापना के बाद 70 सालों में 36000 इंजीनियर पैदा किये हैं। मेहर चंद पॉलिटेक्निक के विद्यार्थी भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने कौशल और अनुभव के साथ अपने मातृ संस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं। प्रिंसिपल डॉ. जगरूप सिंह ने बताया कि नवम्बर 2024 में कॉलेज में प्लैटिनम जुबली मनाई जा रही है, जिसमें 70 पुराने विद्यार्थियों को सम्मानित किया जा रहा है। इसी सिलसिले में कॉलेज की ओर से श्रृंखलाबद्ध तरीके से अपने एलुमनाई मेंबर्स के साथ रूबरू करवाया जा रहा है।

के ऐल कपूर: इन्होंने 1961 में मेहर चंद पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया और स्टेट मेरिट में स्थान प्राप्त किया। ए. एम. आई. ई. करने के बाद 1968 में सिंचाई विभाग में एस.डी.ओ. पद पर भर्ती हुए। 1982 में एक्स .ई. एन. बने, 1988 में एस.ई. सर्विस के दौरान उनकी अनेक उपलब्धियां रहीं जिनमें आनंदपुर साहिब जल विद्युत परियोजना भी उनकी देख रेख में बनी।

कुलविन्दर बाघा: कुलविंदर ने 2014 में मेहर चंद पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया। कॉलेज में पढ़ते हुए ही उनका समाज सेवा के प्रति रुझान था। कई बार रक्तदान भी किया। डिप्लोमा के बाद बी.टेक. और एम.टेक. की। यूथ ब्लड डोनर संस्था बना कर कई रक्तदान कैंप लगाए और सैंकड़ों लोगों की जान बचाई। जालंधर के बोलीना दोआबा गाँव के सबसे कम उम्र के सरपंच बने, स्किल सेंटर चलाया। पानी और वातावरण के संरक्षण के लिए काम किया। संत बलबीर सिंह सीचेवाल के साथ मिल कर उन्होंने गाँव में पानी के निकास के लिए काम किया। स्टेट और नेशनल अवॉर्ड हासिल किये। उन्हें बेहतरीन सरपंच का भी पुरस्कार मिला।

पी. एल. शर्मा: कॉलेज के पूर्व छात्र पी. एल. शर्मा ने 1965 में मेहर चंद पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया और भारतीय डिफेंस एस्टेट सर्विसिज़ में भर्ती हुए, आर्मी में एस.डी.ओ. बने। रिटायरमेंट के बाद लवली ऑटोज़ में सफलतापूर्वक प्रबन्धक के रूप में 20 साल सेवाएं दी। मेहर चंद पॉलिटेक्निक को हमेशा अपनी कर्मभूमि मानते हैं और उसके लिए सेवाएं देने को तत्पर रहते हैं।

एम. पी. सिंह: एम. पी. सिंह ने 1985 में मेहर चंद पॉलिटेक्निक से इलेक्ट्रॉनिक्स का डिप्लोमा किया और गोल्ड मैडल हासिल किया। वे तकनीकी शिक्षा में लेक्चरर के रूप में भर्ती हुए तथा अपनी काबिलियत, ईमानदारी, लगन और मेहनत से प्रिंसिपल के पद तक पहुंचे। उन्होंने 15 साल सतगुरु राम सिंह सरकारी पॉलिटेक्निक लुधियाना में बतौर प्रिंसिपल का काम किया। विद्यार्थियों के बीच हमेशा लोकप्रिय और स्टाफ़ के लिए रोल मॉडल रहे। उन्हें मेहर चंद पॉलिटेक्निक पर गर्व है।

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