
KMV द्वारा इंप्लीमेंटेशन ऑफ एन.ई.पी.-2020 एंड रोल ऑफ साइंटिफिक एंड टेक्निकल टर्मिनोलॉजी विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस का सफलतापूर्वक आगाज़
न्यूज़ 360 ब्रॉडकास्ट (एजुकेशन न्यूज़ ,जालंधर ): Two day National Conference on Implementation of NEP-2020 and Role of Scientific and Technical Terminology successfully started by KMV : भारत की विरासत एवं ऑटोनॉमस संस्था, कन्या महा विद्यालय, जालंधर में इंप्लीमेंटेशन ऑफ एन.ई.पी.-2020 एंड रोल ऑफ साइंटिफिक एंड टेक्निकल टर्मिनोलॉजी विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस का सफलतापूर्वक आगाज़ किया गया। कमिशन फॉर साइंटिफिक एंड टेक्निकल टर्मिनोलॉजी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार,नई दिल्ली के सहयोग के साथ आयोजित करवाई गई इस कॉन्फ्रेंस में देशभर से विशेषज्ञों ने अपनी शिरकत की। देश की नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के संबंध में जागरूकता का प्रसार तथा वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के द्वारा निर्मित विज्ञान एवं तकनीकी शब्दावली के प्रयोग को लोकप्रिय बनाने के मकसद के साथ आयोजित हुई इस कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र में शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार से आए हुए गणमान्य अतिथियों के साथ श्री आलोक सोंधी, जनरल सेक्रेटरी, के.एम.वी. मैनेजिंग कमेटी ने बतौर मुख्य मेहमान शिरकत की। आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यालय प्रिंसिपल प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी देश के सामाजिक और आर्थिक विकास का शिक्षा मूल आधार है और भारत जैसे विकासशील देश को विकसित देशों की कोटि में लाने के लिए एन.ई.पी.- 2020 महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि है यह गर्व का विषय है कि कन्या महा विद्यालय एन.ई.पी.- 2020 के अधिनियमों के अनुसार पहले से ही कार्यरत है। इस कार्यक्रम के दौरान इंजीनियर जे.एस. रावत, सहायक निर्देशक, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार, नई दिल्ली ने संबोधित होते हुए तकनीकी शब्दावली आयोग के उद्देश्यों के बारे में विस्तार सहित जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि आयोग पूरी शिद्दत से एन.ई.पी. में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के प्रयोग को सकारात्मक रूप से संचालित करने की ओर प्रयासरत है। इसके अलावा प्रो. गिरीश नाथ झा, चेयरमैन, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग ने अपने संबोधन के दौरान पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से आयोग की कार्यवाही को बयान करते हुए कहा कि भारत में तकरीबन 19500 से अधिक भाषाएं हैं और इनमें 270 मात्र भाषाएं हैं तथा 12लाख से अधिक ऐसे शब्द भी हैं जिनका विभिन्न भाषाओं में विभिन्न अर्थ है लेकिन यह शब्द भारत के भाषाई शक्तिपुंज है जिनके माध्यम से अखिल भारतीय शब्दावली का निर्माण कर भारत की भाषाई पूंजी को और समृद्ध किया जा सकता है। ऐसे कार्य की पूर्ति के लिए उन्होंने अपने संभाषण के दौरान अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक सहयोग की भी कामना की और साथ ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कन्या महाविद्यालय के द्वारा डाले जा रहे योगदान की भी सराहना की। मुख्य मेहमान श्री आलोक सोंधी ने इस अवसर पर संबोधित होते हुए कन्या महा विद्यालय को इस महत्वपूर्ण विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन के लिए बधाई देते हुए वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के कार्यों की भी सराहना की उन्होंने कहा कि अपनी भाषाओं संस्कृति व राष्ट्रीय धरोहर को बचाने तथा उन्नत करने के लिए यह आयोग 2020 से बहुत ही प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। आयोग की कार्यवाही के लिए उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी मुबारकबाद दी। उद्घाटन सत्र के समापन उपरांत आयोजित हुए पहले टेक्निकल सेशन में मेजर जनरल जी.जी. द्विवेदी, एस.एम. वी.एस.एम. एंड बी.ए. आर. (रिटायर्ड) प्रोफेसर, स्ट्रेटजी-इंटरनेशनल रिलेशंस एंड मैनेजमेंट स्टडीज़, फाउंडर चेयर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी क्रिटिकल रोल ऑफ एजुकेटरस इन इंप्लीमेंटेशन ऑफ न्यू एजुकेशन पॉलिसी विषय के साथ प्रतिभागियों के रूबरू हुए। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि भारत को ज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में उभर कर सामने आना होगा। इस दिशा की ओर शिक्षा की भूमिका अहम है। शिक्षा प्रक्रिया से ही मनुष्य विकसित हुआ और डिजिटल विकास तक पहुंचा लेकिन टेक्नोलॉजी के विकास के साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलाव ज़रूरी है जिसके लिए क्रिएटिव एवं क्रिटिकल सोच को अपनाना बेहद लाज़मी है। दूसरे स्रोत वक्ता डॉ आशुतोष अंगीरस, एस.डी. कॉलेज, अंबाला कैंट, हरियाणा ने संस्कृत शास्त्रीय क्रिटिक ऑफ साइंटिफिक एंड टेक्निकल टर्मिनोलॉजी इन क्वालिटी एंड इन्नोवेटिव रिसर्च इन न्यू एजुकेशन पॉलिसी विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि एन.ई.पी. का मुख्य उद्देश्य अच्छे व्यक्तित्व का विकास होना चाहिए जिसके लिए परीक्षण आवश्यक है। इसी इसके साथ ही उन्होंने एन.ई.पी.-2020 के महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। दूसरे टेक्निकल सेशन के दौरान डॉ. सी.पी. पोखरण, एस.आर.के.पी. गवर्मेंट पी.जी. कॉलेज, किशनगढ़, राजस्थान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं परिवर्णनीय शिक्षा, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली की भूमिका विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 21वीं सदी की यह एक ऐसी शिक्षा नीति है जो पुरानी भारतीय शिक्षा नीति को बदल कर ऐसी नीतियों को लेकर आई है जो विद्यार्थियों को ग्लोबल सिटीज़न बनाने के साथ-साथ उनकी परिवर्णनीय सतर्कता को भी बढ़ाएगी। दूसरे टेक्निकल सत्र के दौरान डॉ. कुंवर राजीव, डी.ए.वी. कॉलेज, जालंधर ने स्रोत वक्ता के रूप में शिरकत करते हुए कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं है बल्कि विद्यार्थियों के सर्वपक्षीय विकास के लिए मापदंड बनाने की आवश्यकता भी है ताकि वह अपने अंदर के कौशल को पहचान कर अपना मार्ग प्रशस्त कर सकें. पहले दिन के अंतिम स्रोत वक्ता के रूप में डॉ. विनोद कुमार, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी एंड साइंटिफिक टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन विषय पर अपने विचार सांझा किए। मैडम प्रिंसिपल ने कहा कि कन्या महाविद्यालय के द्वारा समय-समय पर अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कॉन्फ्रेंसेस तथा कॉन्क्लेवस का आयोजन किया जाता रहता है जिससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आई जा सके। इसके साथ ही उन्होंने इस सफल आयोजन के लिए समूह आयोजक मंडल को मुबारकबाद दी और उम्मीद जताई कि यह कॉन्फ्रेंस भी नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आने में बेहद कारगर साबित होगी।