DAV कॉलेज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन का हुआ आयोजन

न्यूज़ 360 ब्रॉडकास्ट

जालंधर: डीएवी कॉलेज के स्नातकोत्तर जूलॉजी विभाग द्वारा दो दिवसीय डीबीटी प्रायोजित “अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन: इंटीग्रेटिंग डिसिप्लिन एंड इनोवेशंस” का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस आयोजन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अभूतपूर्व विचारों पर चर्चा करने के लिए दुनिया भर के 120 से अधिक वैज्ञानिक, शिक्षक और छात्र एक साथ एक मंच पर आए। प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार एवं  प्रो. पुनीत पुरी, विभागाध्यक्ष जूलॉजी विभाग, संयोजक डॉ. ऋषि कुमार और प्रो. पंकज बग्गा, समग्र डीबीटी समन्वय,तथा विभाग के अन्य सदस्यों ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रो. पूजा शर्मा ने सम्मेलन की रूपरेखा का परिचय दिया। प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने अपने संबोधन में शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए कॉलेज की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

वहीं उन्होंने शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और छात्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ विज्ञान और वैज्ञानिक क्षमताओं को बढ़ाने में योगदान देने में सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. कश्मीर सिंह ने “2047 में विकसित भारत को सशक्त बनाने में बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) की महत्वपूर्ण भूमिका” पर मुख्य व्याख्यान दिया। प्रथम दिवस के दो सत्रों में मुख्य दो व्याख्यान हुए। डॉ. नवनीत सिंह वैज्ञानिक ई, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया,कोलकाता  ने “रात के जीवों (लेपिडोप्टेरा: पतंगे) की खोज, परागण के प्रमुख चालक” पर आकर्षक एवं रोचक व्याख्यान दिया। डॉ. वरुण जायसवाल, सहायक प्रोफेसर, गचोन विश्वविद्यालय दक्षिण कोरिया ने “फार्माकोलॉजी: “नेक्स्ट पैराडाइम इन द स्टडी ऑफ़ मॉलिक्यूलर मैकेनिज्म ऑफ़ ड्रग एक्शन एंड ड्रग डिस्कवरी” दवा क्रिया और दवा खोज के आणविक तंत्र के अध्ययन में अगला प्रतिमान” पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया।

वहीं दूसरे दिन डॉ. मणि चोपड़ा, एसोसिएट प्रोफेसर, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ ने “थेराप्यूटिक  टार्गेटिंग ऑफ़ यूपीए  इनंड्यूस ऑटिज्म अंसोसिअट् विहंवियर  बॉय फिसेटिन द्वारा उपचारात्मक लक्ष्यीकरण” पर  मुख्य व्याख्यान दिया, और इस सत्र में दो ओर वक्तव्य हुए, जिनमें सबसे पहले डॉ. रूपक कुमार, विशेषज्ञ, यूनेस्को  इनक्लूसिव पॉलिसी लैब, मिगल गैलिली अनुसंधान संस्थान, इज़राइल  ने “भविष्य की स्वास्थ्य तकनीकें और उसका विनियमन: हम कहाँ खड़े हैं?” पर अपना वक्तव्य दिया। सोनिया सेखों, कनांडाई बैरिस्टर और सॉलिसिटर ने “उद्यमिता और नवाचार” पर अपना व्याख्यान दिया।

सम्मेलन का समापन सत्र एनएचपीसी भारत सरकार के स्वतंत्र निदेशक डॉ. अमित कांसल की अध्यक्षता में संपन्न  हुआ, जिसमें उत्कृष्ट शोधकर्ताओं को उनके योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए। इस कार्यक्रम ने सफलतापूर्वक व्यावहारिक चर्चाओं को बढ़ावा दिया और भविष्य के अंतःविषय सहयोग के लिए आधार तैयार किया।

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