DAV कॉलेज की पंजाबी साहित्य सभा ने प्रसिद्ध पंजाबी कवि पद्मश्री सुरजीत पातर के निधन पर जताया शोक

न्यूज़ 360 ब्रॉडकास्ट (जालंधर/एजुकेशन)

जालंधर: शहर के डीएवी कॉलेज की पंजाबी साहित्य सभा डॉ. सुरजीत पातर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने डॉ. पातर के आकस्मिक निधन को बेहद दुखद बताते हुए कहा कि ऐसे युग के कवि कम ही पैदा होते हैं। उनकी पंजाबी भाषा और संस्कृति को बड़ी देन हैं। पंजाबी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार खुराना ने डॉ. सुरजीत पातर के निधन को पंजाबी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि हमारे समय के इस महान कवि के आकस्मिक निधन से पूरा साहित्य जगत सदमे में है। उपाध्यक्ष प्रो. सुखदेव सिंह रंधावा ने उनके साहित्यिक योगदान को बहुमूल्य बताया।

इस दौरान उपस्थित पंजाबी विभाग के प्राध्यापकों ने सुरजीत पातर के व्यक्तित्व और पंजाबी साहित्य जगत में उनके योगदान के बारे में अपने अनुभव साझा किए। डॉ. सुरजीत पातर ने 1960 के दशक में अपनी कविताएँ प्रकाशित करना शुरू किया और लगातार साहित्य साधना में सक्रिय रहे। उनका व्यक्तित्व “कविता की व्यापक सामाजिक अपील और गंभीरता” का सुंदर संयोजन है। उनकी कविता राजनीतिक चेतना और समाज में समसामयिक उत्पीड़न के विरोध के रूप में सामने आती है। उन्होंने उत्कृष्ट कृतियों-हवा विच लिखे हर्फ, बिरख अर्ज़ करे, हनेरे विच सुलगदी वरनमाला, लफ्ज़ा दी दरगाह, पतझड़ दी पाज़ेब, सुर-ज़मीन, चन्न सूरज दी वहिंगी आदि के माध्यम से पंजाबी साहित्य जगत में अपनी जगह बनाई।

डॉ. सुरजीत पातर की साहित्यिक उपलब्धियों के कारण उन्हें पद्म श्री, साहित्य अकादमी और सरस्वती जैसे प्रमुख सम्मान प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। डॉ. सुरजीत पातर को समर्पित इस शोक समारोह में प्रो. बलविंदर नंदरा, डॉ. दविंदर मंड, डॉ. राजन शर्मा, डॉ. कंवलजीत सिंह, प्रो. मंजीत सिंह, डॉ. किरणदीप कौर, साहित्य सभा संचालक डॉ. साहिब सिंह, डॉ. गुरजीत कौर, प्रो. साहिल आदि मौजूद रहे।

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