कहा- आज भी बहुत याद आते हैं वो दिन
न्यूज़ 360 ब्रॉडकास्ट(जालंधर/एजुकेशन)
जालंधर: प्लैटिनम जुबली वर्ष के दौरान मेहर चन्द पॉलीटैक्निक कॉलेज के पुराने विद्यार्थी आज भी कॉलेज में बिताए हुए दिन याद करके भावुक हो उठते हैं। प्रिंसिपल डॉ जगरूप सिंह ने कॉलेज की स्थापना के सत्तर वर्ष पूरे होने पर सबको बधाई और शुभकामनाएं दी और साथ ही कॉलेज से जुड़ी उन पुरानी यादों को श्रृंखलाबद्ध कर के स्मारिका के रूप में छापने का बीड़ा भी उठाया।
चन्दर मोहन सेखड़ी:- इन्होंने 1982-1985 में मेहर चन्द पॉलीटैक्निक से सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया और रेल कोच फैक्टरी, कपूरथला से जे. ई. में अपने करियर की शुरुआत की। फिर एक्स. ई. एन., डिप्टी चीफ़ इंजीनियर होते हुए 29 जनवरी 2024 को भुवनेश्वर में चीफ़ इंजीनियर (रेलवे) बने। इन्होंने अनेक अवार्ड जीते और आज भी अपनी प्राप्तियों का सेहरा मेहर चन्द पॉलीटैक्निक को देते हैं।
प्रेम दयाल शर्मा:- इन्होंने 1963 में मेहर चन्द पॉलीटैक्निक कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया। क्रिकेट और बैडमिंटन के कैप्टन रहे। प्रताप सिंह कैरों से बैस्ट ऑल राउंडर स्टूडेंट का अवार्ड मिला। आर्डिनेंस फैक्ट्री, भारतीय रेलवे में काम किया। एक्स. ई. एन. बने एस. ई. बने, चीफ़ इंजीनियर बने, जनरल मैनेजर बने और फिर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बन कर रिटायर हुए। उन्होंने कहा कि मेहर चन्द पॉलिटेक्निक का नाम सुन कर उनकी आँखों में आंसू आ जाते हैं।
नरिन्दर शर्मा:- इन्होंने 1966 में मेहर चन्द पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया। इसी कॉलेज में लेक्चरर रहे। 1976 में एस. डी. ओ. बन कर बिजली बोर्ड में चले गए और 2004 ऐस. ई. बन कर रिटायर हुए। तलवाड़ा का हाइड्रो पॉवर प्लांट इन्हीं की देख रेख में बना। उन्होंने कहा कि जब भी मेहर चन्द पॉलीटैक्निक के सामने से गुज़रते हैं, श्रद्धा से सिर झुक जाता है।
मनोज कुमार छूरा:- इन्होंने 1985 में मेहर चन्द पॉलीटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया। फिर सफलता की सीढ़ियां चढ़ते ही गए। ऑस्ट्रेलिया से मास्टर्स की। फिर आई. बी. एम., फ़िलिप्स, लेनोवो, एप्पल जैसी कम्पनियों में काम किया और अब एशिया, यू,एस. ए. और यूरोप में, हालसिम कम्पनी से जुड़े हैं। स्विट्ज़रलैंड में रह रहे हैं। वे आज भी अपनी मज़बूत नींव का श्रेय मेहर चन्द पॉलिटेक्निक को देते हैं।
वासुदेव शर्मा- इन्होंने 1964 में सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा मेहर चन्द पॉलिटेक्निक से किया। पी.डब्ल्यू. डी. बी. एंड आर. में ओवरसियर बने और एस. डी. ई. बन कर रिटायर हुए। इसके उपरांत पी.टी.यू. में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के तौर पर काम किया। पूरे कार्यकाल में यूनियन लीडर के रूप में कर्मचारियों की मांगों के लिए संघर्ष किया। आज 80 वर्ष से ऊपर आयु होने पर भी संघर्ष जारी है। उन्होंने कहा कि वे कॉलेज को अपनी माँ का दर्जा देते हैं।